Saturday, June 4, 2011

रिसाइकिल बिन

खिड़कियाँ बंद हैं
दरवाजे बंद हैं
आँगन की ओर वाली ग्रिल भी लगा दी है मैंने
जैसे कि गर शाम लगा देती हूँ दिन ढलते ही
जब पंक्ति में अकेले खड़े होने का बोध
मेरे भीतर की स्थिरता को तार-तार करने पर आमदा हो चुका होता है
और मैं उसे धत्ता बताने पर उतारू

खिड़कियाँ बंद हैं
दरवाजे बंद हैं
समय भी बंद है
जैसे बंद हो जाती है घड़ी
जैसे बंद हो जाती है दिल की धड़कन
जैसे बंद हो जाती हैं दुकानें
शहर में कर्फ्यू लग जाने पर

समय भी बंद हो गया है
या मुझे ऐसा लगता है की समय बंद हो गया है
या कि शायद मैंने ही उसे बंद कर दिया है कमरे के भीतर
लेकिन समय दुष्ट है
शैतान का ताऊ है वह
देखना अभी निकल भागेगा खिड़की और दरवाजों की दरारों से रिस-रिसकर
और ठंडी, बर्फीली हवा भीतर चली आएगी उसी रास्ते

मुझे अचानक सिहरन सी महसूस हो रही है
जैसे बर्फ होता जा रहा है धमनियों और शिराओं में बहता हुआ खून
और मैं बिस्तर के पास कुर्सी पर रखे
बजाज ब्लोवर का स्विच ऑन कर देती हूँ
घर्र-घर्र-घर्र-घर्र एक पंखा सा चलने लगा है दिमाग में
एक अदृश्य बिजली जिस्म के पोर-पोर में कौंधने लगी है
और मुझे लगता है जैसे मेरी शैली के फ्रैन्कैस्तीन के भीतर से
एक दानव आकृति आहिस्ता-आहिस्ता आँखें खोल रही है
ऐसे में जब मैं सोच रही होती हूँ
दानव और उससे निबटने की तरकीबें
समय आँख बचा
निकल भागता है कमरे की कैद से

मैं खोलती हूँ एक खिड़की
और घबड़ाकर बंद कर देती हूँ
मैं फिर खोलती हूँ खिड़की और झांकती हूँ बाहर
ठमके हुए अँधेरे के चेहरे पर झूल आई लटों को
एक ओर करने की कोशिश करती हुई
सामने सड़क पर एक स्त्री लंगडाती हुई चली जा रही है
और मुझे लगता है कि यह समय है लंगडाकर चलता हुआ
शायद उसके पांव में मोच आ गई है
और मैं आवाज़ देती हूँ उसे -
"ले अर्निका की एक खुराक खा ले
या नहीं तो मूव लगाके क्रेप बैंडेज बंधवा ले"
लेकिन वह नहीं सुनता मेरी आवाज़
और न ही वापस लौटता है
देखते ही देखते वह मेरी आँखों से ओझल हो गया है
"खुदा खैर करे! जाने कहाँ जायेगा यह और इसकी दुनिया... !"
मैंने समय पर खिड़की बंद कर ली है

संस्कारों की पटरी से उतरा हुआ समय है यह
सोने का भाव बढ़ने और आदमी का भाव घटने का समय है यह
यह समय है सारी दुनिया के करीब सिमट आने का
यह समय है आदमी से आदमी के दूर जाने का
यह समय है झूठ और मक्कारी के सम्मानित होने का
यह समय है सत्य और ईमानदारी के रद्दी के मोल बिकने का
यह बाज़ार का समय है और बाज़ार में चलने का समय है

मैंने समय पर खिड़की बंद कर ली है
मेरा जीना और मरना बेमानी है समय के लिए
मेरा होना और न होना समय के कंप्यूटर से डिलीट हो चुके हैं
वे नहीं रहे रिसाइकिल बिन में भी अब
और मैं समय विहीन एक फाइल बन चुकी हूँ
बेरहमी से इस विशाल गैलेक्सी में उछाल दी गई

खिड़कियाँ बंद हैं
दरवाजे बंद हैं
आँगन की और वाली ग्रिल में भी पड़ा है ताला
मुहे एक-एक कर खोलने हैं सारे ताले
सारी खिड़कियाँ और दरवाजे
मुझे जड़ना है इस हिंसक और बेलगाम समय के मुंह पर एक झन्नाटेदार तमाचा
और मैं सोचती हूँ कि इसके लिए जरुरी है सबसे पहले
उस गुमशुदा फाइल को पुनः हासिल करना
फिर मुझे खोजना है वह कोड भी जो डिकोड कर दे उस फाइल को
और मेरे सामने डान ब्राउन का द डा विन्ची कोड जल-बुत जल-बुत करने लगता है
और उसके भीतर से मोनालिसा निकल
मेरी आँखों में आँखे डाल अजीबोगरीब ढंग से मुस्कराने लगती है.....

प्रकाशित: कथादेश, जनवरी, 2011

1 comment:

  1. आदरणीया किरण जी
    सादर नमस्कार !

    बौद्धिकता से परिपूर्ण गंभीर लेखन करती हैं आप !
    मुझे एक-एक कर खोलने हैं सारे ताले
    सारी खिड़किया और दरवाज़े
    मुझे जड़ना है इस हिंसक और बेलगाम समय के मुंह पर एक झन्नाटेदार तमाचा

    और मैं सोचती हूँ कि इसके लिए ज़रुरी है सबसे पहले
    उस गुमशुदा फाइल को पुनः हासिल करना
    फिर मुझे खोजना है वह कोड भी जो डिकोड कर दे उस फाइल को
    और मेरे सामने डान ब्राउन का द डा विन्ची कोड जल-बुत जल-बुत करने लगता है
    और उसके भीतर से मोनालिसा निकल
    मेरी आंखों में आंखें डाल अजीबोगरीब ढंग से मुस्कराने लगती है.....


    बहुत ख़ूब !
    मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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